सम्मेलन में हिस्सा लिया तो घर नहीं जा पाओगे', तमिलनाडु के राज्यपाल का आरोप; कुलपतियों को मिली धमकी
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उपस्थिति में राज्य केंद्रीय व निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में राज्यपाल रवि ने कहा दुर्भाग्य से राज्य के विश्वविद्यालय इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्होंने मुझे लिखित में सूचित किया है कि राज्य सरकार ने उन्हें हिस्सा नहीं लेने के लिए चेतावनी दी है।

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने आरोप लगाया है कि राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को राजभवन में शुक्रवार से शुरू हुए दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने के लिए धमकाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए आयोजित कुलपतियों के इस सम्मेलन में राज्य के किसी भी विश्वविद्यालय का प्रतिनिधि नहीं है।
उन्होंने कहा, 'अभी तक हमारे एक कुलपति थाने में थे। कुछ कुलपति ऊटी पहुंच गए हैं। कुछ ऐसा अभूतपूर्व हुआ है जो पहले कभी नहीं हुआ। आधी रात को उनके दरवाजों पर दस्तक हुई, पुलिस की विशेष शाखा ने वहां जाकर उनसे कहा कि अगर उन्होंने सम्मेलन में हिस्सा लिया तो वे घर नहीं जा पाएंगे। मैंने उन्हें सलाह दी कि वे अपने परिवारों का ध्यान रखें।'
राज्य सरकार पर साधा निशानाराज्यपाल ने कहा कि उन लोगों को सद्बुद्धि आए जिन्होंने कुलपतियों को उनके सम्मेलन में हिस्सा लेने से रोका। यह सम्मेलन शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए है और इसमें कोई राजनीति नहीं है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा, 'राज्यपाल रवि को मेरा सुझाव है कि कुछ चीजों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जो लोग नहीं आए हैं, उनके साथ कुछ हुआ होगा, हमें समझना चाहिए, सभी की उपस्थिति की सराहना करनी चाहिए और सभी की अनुपस्थिति की भी सराहना करना चाहिए।'
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तारीफ कीसाथ कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) गेम चेंजिंग है, सभ्यतागत लोकाचार के अनुरूप है और यह राष्ट्र की नीति है। धनखड़ ने कहा, 'एनईपी भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता देती है। विभिन्न विषय सीखने को बढ़ावा देती है। इसमें शिक्षा को सिर्फ रोजगार का नहीं, बल्कि व्यक्ति के विकास का माध्यम माना गया है। सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह छात्रों को मातृभाषा में पढ़ने की अनुमति देती है।
धनखड़ ने कहा कि समस्या यह है कि शिक्षण संस्थान इस नीति से पूरी तरह अवगत नहीं हैं। मैं कहूंगा कि वे इसका व्यापक अध्ययन करें और इसके उद्देश्य को समझें।' उन्होंने कहा, 'हमारी भाषाएं हमारा गौरव और विरासत हैं। किसी भी देश में जाइए, आपको वो नहीं मिलेगा जो यहां है। संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, ¨हदी, बांग्ला इत्यादि.. साहित्य एवं ज्ञान की खान हैं।'
धनखड़ ने कहा, 'मैं राज्यपाल रवि की इस बात के लिए सराहना करता हूं कि उन्होंने संवैधानिक आदेश के तहत यह काम किया है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-159 के तहत शपथ ली है। उन्होंने संविधान और कानून को संरक्षित और सुरक्षित रखने की शपथ ली है।'
पहलगाम हमले का जिक्र कियाधनखड़ ने पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया और कहा कि यह हमला याद दिलाता है कि आतंकवाद वैश्विक खतरा है जिससे मानवता को एकजुटता से निपटना चाहिए। उन्होंने लोगों से राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए राजनीतिक, व्यक्तिगत एवं अन्य हितों से ऊपर उठने की अपील की।
कहा कि भारत दुनिया का सबसे शांतिप्रिय देश है और वसुधैव कुटुंबकम में प्रति¨बबित इसकी सभ्यतागत भावना वैश्विक स्तर पर प्रतिध्वनित हो रही है। सम्मेलन के प्रारंभ में कुछ समय के लिए मौन रखा गया।
0 comments: